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नवंबर 14, 2018
भारत के जीसैट-29 संचार उपग्रह का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एस.डी.एस.सी.), शार श्रीहरिकोटा से बुधवार को भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचक राकेट मार्क III (जी.एस.एल.वी. मार्क III – डी2) के दूसरे विकासात्मक उड़ान द्वारा सफलतापूर्वक प्रमोचन किया गया।
3423 कि.ग्रा. भार वाले जीसैट-23 उपग्रह का वहन करते हुए जी.एस.एल.वी. मार्क III – डी2 ने 17:08 बजे (भा.मा.स.) एस.डी.एस.सी., शार के द्वितीय प्रमोचन पैड से उड़ान भरी। लगभग 17 मिनट के बाद, योजनानुसार प्रमोचक राकेट ने उपग्रह को भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा में अंत:क्षेपित किया।
अंत:क्षेपण के बाद, हासन स्थित इसरो के मुख्य नियंत्रण सुविधा ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। आने वाले दिनों में, उपग्रह को निर्दिष्ट अवस्थिति में भूस्थिर कक्षा में अवस्थित करने हेतु तीन कक्षा उत्थापन युक्तिचालन को क्रियान्वित किया जाएगा।
जी.एस.एल.वी. मार्क III भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक तीन-चरण भारी उत्थापक प्रमोचक राकेट है।
ठोस नोदक सहित दो भारी बूस्टर प्रथम चरण का गठन करते है, द्रव नोदक सहित क्रोड दूसरे चरण का गठन करते हैं और क्रायोजेनिक इंजन अंतिम चरण को पूरा करते हैं।
जीसैट-29 एक बहु-बैंड, बहु-किरण संचार उपग्रह है, जिसका उद्देश्य कई नई तथा क्रांतिक प्रौद्योगिकियों के लिए जाँच आधार के रूप में कार्य करना है। इसके के.यू. बैंड तथा के.ए. बैंड नीतभार का संरूपण प्रयोक्ताओं, जिसमें सुदूर प्रदेश विशेषकर जम्मू एवं कश्मीर तथा भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र शामिल हैं, के संचार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया गया है।
इसके अतिरिक्त, क्यू./वी.-बैंड संचार नीतभार ऑनबोर्ड का उद्देश्य भावी उच्च क्षमता उपग्रह प्रणाली प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है। जियो उच्च विभेदन कैमरा उच्च विभेदन प्रतिबिंबन का कार्य करेगा। प्रकाशिकी संचार नीतभार प्रकाशिकी संचार लिंक के माध्यम से अति उच्च दर पर आँकड़ा प्रसारण का प्रदर्शन करेगा।
इस सफल प्रमोचन के बाद इसरो अध्यक्ष डॉ. कै. शिवन ने कहा कि: “भारत ने भारतीय भूमि से हमारे सबसे भारी प्रमोचित्र द्वारा सबसे भारी उपग्रह का उत्थापन करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। प्रमोचक राकेट ने परिशुद्ध ढंग से उपग्रह को इसकी वांछित कक्षा में स्थापित किया है। इस उपलब्धि के लिए मैं इसरो के संपूर्ण टीम को बधाई देता हूँ”।
जी.एस.एल.वी. मार्क III की प्रचालनात्मकता की घोषणा के बाद डॉ. शिवन के यह घोषणा भी की कि इस भारी उत्थापक द्वारा चंद्रयान - 2 तथा गगनयान मिशनों का प्रमोचन भी किया जाएगा।
जयकुमार बी., मिशन निदेशक, जी.एस.एल.वी. मार्क III ने कहा कि यह इसरो के परामर्शदाताओं का मार्गदर्शन है जिसके कारण अवरोधों के होते हुए भी इस टीम को आगे बढ़ने में मदद मिली। “उद्योग साझेदारों ने भी इस मिशन में मुख्य भूमिका निभाई”, उन्होंने कहा।
के. पंकज दामोदर, परियोजना निदेशक, जीसैट-29 से कहा कि इस प्रमोचन से अंकीय दूरी को कम करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इस मिशन के साथ कई अगामी पीढ़ी के नीतभार प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
जी.एस.एल.वी. मार्क III – डी2 की सफलता भारी उपग्रहों के प्रमोचन में आत्म-निर्भरता को प्राप्त करने की ओर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस उड़ान की सफलता जी.एस.एल.वी. मार्क III के परीक्षणात्मक चरण के पूरा होने को भी दर्शाती है।
जी.एस.एल.वी. मार्क III का प्रथम सफल मिशन वर्ष 2014 में एक परीक्षणात्मक उप-कक्षीय उड़ान थी। उसके बाद, जी.एस.एल.वी. मार्क III – डी1 ने जीसैट-19 का 5 जून, 2017 को भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा में प्रमोचन किया, जो कि एक उच्च क्षमता संचार उपग्रह है जिसका उत्थापन भार 3150 कि.ग्रा. है।