फ्रेंच गियाना से भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह जीसैट-11 का सफलतापूर्वक प्रमोचनहोम/ प्रेस विज्ञप्ति / फ्रेंच गियाना से भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह जीसैट-11 का सफलतापूर्वक प्रमोचन
दिसम्बर 05, 2018
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सबसे भारी तथा अत्यधिक उन्नत उच्च क्षमता वाले संचार उपग्रह जीसैट-11 को फ्रेंच गियाना के अंतरिक्षपत्तन से आज तड़के सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया।
प्रमोचक राकेट एरियने 5वी.ए.-246 ने भारत के जीसैट-11 तथा दक्षिण कोरिया के जी.ई.ओ.-कॉम्पसैट-2ए उपग्रहों का वहन करते हुए फ्रेंच गियाना के कोरू प्रमोचक आधार से 02.07 पूर्वाह्न (भा.मा.स.) पर समयानुसार उड़ान भरी। सोयूज एवं वेगा के साथ-साथ एरियाने 5 एरियने स्पेस से प्रचालित तीन प्रमोचक राकेटों में से एक है।
30 मिनट की उड़ान के बाद जीसैट-11 एक अण्डाकार भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा में एरियने 5 के ऊपरी चरण से अलग हुआ। प्राप्त कक्षा वांछित कक्षा के काफी करीब थी।
5854 कि.ग्रा. वाला जीसैट-11 के.यू. बैंड में 32 प्रयोक्ता पुंजों तथा के.ए. बैंड में 8 मुख्य पुंजों के जरिए भारतीय महाद्वीपों तथा द्वीपों के प्रयोक्ताओं को उच्च आंकड़ा दर संयोजकता मुहैया कराएगा।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. कै. शिवन ने कहा, ‘’डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंग, भारत नेट प्रोजेक्ट के अंतर्गत जीसैट-11 देशभर में ग्रामीण तथा अगम्य ग्राम पंचायतों की ब्राडबैंड संयोजकता को गति प्रदान करेगा‘’।
भारत नेट प्रोजेक्ट का उद्देश्य ई-बैंकिंग, ई-स्वास्थ्य, ई-शासन सहित अन्य लोक कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि जीसैट-11 भविष्य की सभी उच्च क्षमता वाले संचार उपग्रहों के अग्रणी के रूप में कार्य करेगा। डॉ. शिवन ने आगे कहा कि आज के सफल मिशन ने पूरी टीम के विश्वास को बढ़ाया है’’।
पृथ्क्करण के पश्चात कर्नाटक में हासन में स्थित इसरो की मुख्य नियंत्रण सुविधा ने जीसैट-11 को कमांड तथा नियंत्रण में ले लिया तथा उपग्रह के स्वास्थ्य पैरामीटर सामान्य पाए गए।
वैज्ञानिकों द्वारा आने वाले दिनों में इसकी ऑन-बोर्ड नोदक प्रणालियों का उपयोग करते हुए उपग्रह को भूस्थिर कक्षा (भूमध्य रेखा से 36,000 कि.मी. ऊपर) में स्थापित करने के लिए चरण-वार कक्षा उत्थान युक्ति संचालन पूरे किए जाएंगे।
तत्पश्चात, जीसैट-11 के दो सौर व्यूहों तथा चार ऐंटेना प्रवर्तकों को कक्षा में संवर्धित किया जाएगा। सभी कक्षीय जांचों के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के बाद उपग्रह को प्रचालनरत किया जाएगा।
पिछले 21 दिनों में इसरो ने तीन उपग्रह तथा दो प्रमोचक राकेट मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।