जी.एस.एल.वी.-एफ.11 द्वारा जीसैट-7ए का सफल प्रमोचन होम / प्रेस विज्ञप्ति / जी.एस.एल.वी.-एफ.11 द्वारा जीसैट-7ए का सफल प्रमोचन
दिसम्बर 19, 2018
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचक राकेट (जी.एस.एल.वी.-एफ.11) ने आज संचार उपग्रह जीसैट-7ए का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एस.डी.एस.सी.), श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रमोचन किया। जी.एस.एल.वी.-एफ.11 का एस.डी.एस.सी. के द्वितीय प्रमोचन पैड से भा.मा.स. 04:10 बजे उत्थापन हुआ, जो 2250कि.ग्रा. भार वाले जीसैट-7ए का वहन करते हुए लगभग 19 मिनट के पश्चात, जीसैट-7ए को 170.8कि.मी. X 39127कि.मी. की भूतुल्यकाली अंतरण कक्ष (जी.टी.ओ.) में अंत:क्षेपित किया जो निर्दिष्ट कक्षा के अत्यंत निकट है। डॉ. कै. शिवन, अध्यक्ष, इसरो के नेतृत्व में एस. सोमनाथ, निदेशक, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वी.एस.एस.सी.), पी. कुन्हीकृष्णन, निदेशक, यू.आर. राव उपग्रह केंद्र (यू.आर.एस.सी.), डी.के. दास, निदेशक, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), एस. पाण्डियन, निदेशक, एस.डी.एस.सी., डॉ. वी. नारायणन, निदेशक, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एल.पी.एस.सी.) और टी. मूकय्या, निदेशक, इसरो नोदन कॉम्प्लेक्स (आई.पी.आर.सी.) की टीम प्रमोचन के समय मौजूद रही। मोहन एम., मिशन निदेशक एवं किल्लेदार पंकज दामोदर, उपग्रह निदेशक ने प्रमोचन गतिविधियों का निरीक्षण किया। उपग्रह के पृथक्करण के तुरंत बाद, कर्नाटक के हासन स्थित इसरो की मुख्य नियंत्रण सुविधा (एम.सी.एफ.) ने जीसैट-7ए का आदेश एवं नियंत्रण का कार्य संभाला। उपग्रह के स्वास्थ्य पैरामीटर सामान्य हैं। अगले कुछ दिनों में, एम.सी.एफ. के वैज्ञानिक विभिन्न कक्षा-उत्थापन युक्तिचालन करेंगे जिसमें जीसैट-7ए पर लगी नोदन प्रणाली का उपयोग कर उपग्रह को उसकी अंतिम भूस्थिर कक्षा में स्थापित किया जाएगा। डॉ. कै. शिवन ने प्रमोचन के पश्चात अपने अभिभाषण में कहा कि उनकी टीम ने जीसैट-7ए के प्रमोचन के साथ एक और शानदार उपलब्धि हासिल कर ली है। डॉ. शिवन ने कहा कि ‘‘गत 35 दिनों में, इसरो ने एस.डी.एस.सी. से 14 नवंबर को जी.एस.एल.वी. मार्क ।।।-डी2, 29 नवंबर को पी.एस.एल.वी.-‘सी.43 और अंत में आज जी.एस.एल.वी.-एफ.11 के साथ तीन मिशनों का सफलतापूर्वक प्रमोचन किया। जी.एस.एल.वी. ने जीसैट-7ए को परा तुल्यकाली अंतरण कक्षा में सफलतापूर्वक अंत:क्षेपित किया।’’ उन्होंने कहा कि स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक चरण के साथ जी.एस.एल.वी. द्वारा प्रमोचित किए जा रहे उपग्रहों में जीसैट-7ए सर्वाधिक भार वाला उपग्रह है। डॉ. शिवन ने आगे कहा कि ‘‘इस राकेट का क्रायोजेनिक चरण को प्रणोद दर को बढ़ाने हेतु संशोधित किया गया है। जीसैट-7ए ग्रेगोरियन ऐंटेना और अन्य कई नई प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित एक उन्नत संचार उपग्रह है। इस उपग्रह की जांच एवं प्राप्ति इसरो टीम द्वारा अति सावधानीपूर्वक की गई है। हमने उच्च एवं सकारात्मक नोट के साथ वर्ष 2018 को अलविदा कहा है।’’ तीन चरणों के साथ जी.एस.एल.वी. इसरो का चौथी पीढ़ी वाला प्रमोचक राकेट है। चार द्रव स्ट्रैप-ऑन एवं पहले चरण से कोर में एक ठोस राकेट मोटर है। द्वितीय चरण में द्रव ईंधन उपयोग किए जाने वाला एक उच्च प्रणोद इंजन है। क्रायोजेनिक ऊपरी चरण राकेट का तीसरा एवं अंतिम चरण है। जी.एस.एल.वी.-एफ.11 स्वदेशी रूप से निर्मित क्रायोजेनिक ऊपरी चरण के साथ सातवीं उड़ान थी। जीसैट-7ए इसरो का 39वां भारतीय संचार उपग्रह है जो भारतीय क्षेत्र में प्रयोक्ताओं को के.यू.-बैण्ड में सेवाएं प्रदान करेगा। संचार नीतभारों एवं अन्य प्रणालियों की अधिकांश प्रकार्यात्मक आवश्यकताएं इसरो के पूर्ववर्ती भूतुल्यकाली इन्सैट/ जीसैट उपग्रहों से ली गई हैं। वर्ष 2018 में आज का प्रमोचन एस.डी.एस.सी. से इसरो का 7वां मिशन था। यह जी.एस.एल.वी.-मार्क।। की 13वीं उड़ान थी।